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तस्वीर झूठ नहीं बोलती! हम मिले तो हैं पर दिल अभी खिले नहीं

विलय का मतलब वफ़ा…इसलिए अखिलेश और शिवपाल के बीच गठबंधन का रिश्ता!

सियासत की ये खबर थोड़ी गरम है, पर दिल अभी भी इनके नहीं नरम हैं। गुरुवार को यूपी की सियासत में चाचा, भतीजे के बीच छाई धुंध थोड़ी छंटती नज़र आई। तक़रीबन पैंतालीस मिनट की चाचा शिवपाल यादव के साथ मुलाक़ात के बाद लगता है भतीजे अखिलेश यादव बाइस में बाइसाइकिल दौड़ाने का पूरी तरह से मन बना चुके हैं।

छोटे-छोटे भाइयों के बड़े भैया अखिलेश यादव के साथ बीजेपी को शिकस्त देने के लिए उनके प्रिय चाचा अब उनके साथ आ चुके हैं। क़रीब पौने घंटे की भावुक और चाबुक मुलाक़ात के बाद अखिलेश की ट्विटर में पोस्ट की गई ये लाइनें…. (प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है.)…तो यही बयां करती हैं।

बदक़िस्मती की सारी लकीर पलट जाएगी, तक़दीर बदल जाएगी… ज़िंदगी की तस्वीर बदल जाएगी…. गुनगुनाते हुए टीपू ने भले ही ये लाइनें शाम को पांच बजकर आठ मिनट पर ट्वीट की हों पर इसके साथ साझा की तस्वीर अभी भी बहुत कुछ कहती है। चाचा, भतीजे का वो पहले वाला प्यार थोड़ा नदारद नज़र आया। ज़रूरत वाले प्यार की स्क्रिप्ट कुछ ऐसी ही होती है. बैठक में चाचा के साथ चाची भी थीं। मीटिंग फुल संस्कारी थी, पर चुनावी मौसम में ऐसी मुलाक़ात के मायने न निकले तो थोड़ी बेइमानी होगी।

तस्वीर में दिख रही खाई… कब पाई-पाई का हिसाब वसूलने वाले मोड में आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। अक्टूबर 2018 में शिवपाल यादव के मन में प्रगतिशील समाजवादी मोर्चा का ऐलान करते वक्त जो ऊहापोह चल रही थी, आज वो ख़त्म होते दिखती नज़र नहीं आई। दूरियां बता रही हैं कि बुरे काम का बुरा नतीजा, क्यों भाई चाचा…..अरे हां की जगह ना भतीजा वाली लाइन पर आ गई है। गठबंधन का ऐलान यह साफ़-साफ़ बता रहा है कि टीपू अब सुल्तान वाले मोड को छोड़ना एकदम नहीं चाहते। वो नहीं चाहते हैं कि उनके वर्चस्व को कोई उन्हीं की पार्टी के अंदर चुनौती दे। और उन्हें कोई बार-बार ये एहसास कराए कि तुम तो बच्चा हो जी।

चाचा शिवपाल का हाथ के ऊपर हाथ चढ़ाकर, हल्की सी स्माइल के साथ अखिलेश के बग़ल से पोज देना यह बता रहा है कि आज जो भी हुआ है वो ऊंट के मुंह में जीरा के ही समान है. रिपोर्टों की मानें तो चाचा भतीजे की बैठक में समाजवादी पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष किरणमय नंदा भी बाद में पहुंचे। और इसके कुछ देर बाद यह जगज़ाहिर हो गया कि इन दोनों का गठबंधन होगा, विलय तो संभव ही नहीं। अखिलेश यह क़तई नहीं चाहते हैं कि अब विलय हो, क्योंकि ऐसा होने पर दोनों के क़द को मन का पद मिलने में थोड़ा संशय रहेगा।

17 में भले ही ये एक दूसरे के लिए ख़तरा रहे हों पर 22 में ये मिलकर बीजेपी को पानी पिलाने का ख़्वाब देख रहे हैं। हालांकि अखिलेश कई बार सार्वजनिक मंच से ये कह चुके हैं कि चाचा का पूरा सम्मान होगा, पर सियासत के इस मौक़ा देखकर चौका मारने वाले गठबंधन में शह और मात का खेल ना चले ऐसा नामुमकिन है। अखिलेश 19 में बीस ना हो पाने का मलाल अब दोबारा नहीं पालना चाहते हैं। 2021 की जैसे ही ये ज़ोरदार तस्वीर वर्चूअल बाज़ार में आई वैसे ही किसी ने कहा कि लगता हैं इन्हें जबरन खड़ा करके फ़ोटो उतारी गई हो। बात यहां भी ज़ोरों पर थी कि क्या इनके दिल मिलकर विरोधियों को दलदल में फंसा पाएंगे?

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