आईएमए पोंजी घोटाले के पीड़ितों के लिए जो इस मामले के दीवानों में फंसे हैं, वह यह एक लंबा और अंतहीन इंतजार कर रहे हैं, जो 2019 में हुआ था और जिसमें लाखों लोगों ने अपनी संप्रेरणा और बचत को जोखिम में डाल दिया। यह एक आंदोलन की कहानी है, जो एक दुखद घटना के पीछे छिपे व्यक्तिगत कथाओं के बारे में है और उन्होंने किसी भी कीमत पर न्याय पाने का संकल्प नहीं छोड़ा।
घोटाले का पैमाना
आईएमए पोंजी घोटाला, जिसे 2019 में उज्जवल किया गया, भारतीय वित्तीय इतिहास के एक अधिक मर्मस्पर्शी और बड़े घोटालों में से एक माना जाता है। इस घोटाले में जुड़े धीरे-धीरे लोगों के लिए समय बिताने का बोझ बहुत बड़ा है, जैसे कि उनका बचतों, नौकरियों, और जीवन की संभावनाओं को प्रभावित किया है। इस घोटाले का नुकसान लगभग ₹1,400 करोड़ होने का अनुमान है, और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती है, लोगों की उम्मीदें और अपीलें बढ़ रही हैं कि उन्हें उनके निवेश का कुछ हिस्सा वापस मिल सकता है।
आई एमए पीड़ितों के दर्द
इस घोटाले के पीड़ितों में एक 65 वर्षीय महिला भी हैं, जिनका नाम बशीरा बेगम है। वह मधुमेह से पीड़ित हैं और हाल ही में उनका एक पैर काट दिया गया था। अपने बढ़ते वयस्कपन के बावजूद, वह एक मात्र पेशेवर कवरने वाली महिला थी, और उसके पास बोलने के लिए कोई सहायता प्रणाली नहीं थी। बशीरा बेगम के विवाहित पति, वली अहमद, जिन्होंने कई वर्षों तक पश्चिम एशिया में काम किया, वह भी इस घोटाले के शिकार बने हुए हैं।
2017 में वली अहमद ने एक छोटे से नगर में निवेश करने का निर्णय लिया, जिसमें वहन के साथ कुछ लाख रुपये का निवेश किया था। यह निवेश उसके जीवन की बचत थी, और उसे आत्म-निर्भर बनाने का एक सपना देती थी।
आईएमए: “हलाल” निवेश का वादा
जब आईएमए ने अपने “हलाल” निवेश पोंजी योजना का आवगमन किया, तो यह कुछ लोगों के लिए आत्मविश्वास और उत्साह का स्रोत बना। वित्तीय सलाहकारों और वित्तीय विशेषज्ञों के एक वर्ग ने इस निवेश को “हलाल निवेश विकल्प” के रूप में प्रमोट किया, और इसे उन लोगों के लिए मान्यता दी जिन्होंने अपने धर्म और आर्थिक साथी के बीच सुधार करने का सपना देखा। यह पोंजी योजना दिखने में कानूनी और उचित थी, और इसने लोगों को अपने सपनों की पूर्ति के लिए प्रोत्साहित किया।
घोटाले का प्रमाण
हालांकि, जैसा कि बहुत जल्द पता चला, आईएमए का वादा केवल शब्दों का खेल था। घोटाले का पता चलने पर, उसे एक घोटाला माना गया और उसके प्रमाण को उज्जवल किया गया। बहुत जल्द, सैकड़ों लोगों ने अपने निवेश को खो दिया, और इससे कई परिवारों की आर्थिक स्थिति को खतरे में डाल दिया।
आईएमए के बंगलौर में होने वाले घोटाले के बाद, कोविड-19 पैंडेमिक ने इस स्थिति को और भी खराब बना दिया। लाक्षणिक रूप से मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रभावित किया गया, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि वे एक विशेष धार्मिक समुदाय के लिए मनगढ़ंत और सुरक्षित निवेश का हिस्सा बने हैं।
आवाज उठाना
आईएमए पोंजी घोटाले के पीड़ित लोगों ने अपनी आवाज उठाई और न्याय की मांग की। यह एक लड़ाई है, जो न्याय के ख्वाबों के लिए खड़ी हो गई है, और वे नहीं चाहते कि उनके साथ धोखा किया जाए।
बशीरा बेगम और उसके जैसे लोग यह सब सह सकते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने निवेश किया था, ना केवल पैसों की बचत, बल्कि अपने सपनों और आत्मा संवाद के साथ एक बेहतर जीवन की आशा के साथ।
अब वे अपने अधिकार की रक्षा के लिए सड़क पर हैं, और आईएमए घोटाले के पीड़ितों के बचतों को वापस पाने के लिए बढ़ते हुए समर्थन और सहायता की मांग कर रहे हैं।
न्याय की ओर
इसके अलावा, कई पीड़ित ने कोर्टों में न्याय की ओर बढ़ते हुए केस दायर किए हैं, ताकि वे अपने निवेश का कुछ हिस्सा वापस पा सकें। इसमें सीआईडी की जाँच और साक्षरता की तरफ से कई विशेषज्ञों का साथ है, जो पीड़ितों की मदद करने के लिए उनके साथ हैं।
इस लड़ाई में वे यह सबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि धोखाधड़ी के खिलाफ उनके साथ हुआ है, और वे अपने पैसों को वापस पाने के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
आईएमए पोंजी घोटाला एक दर्दनाक कहानी है, जो इसके पीड़ितों के लिए एक लंबा और अंतहीन इंतजार के साथ जुड़ा है। यह घोटाला सिर्फ उनके पैसों का नहीं, बल्कि उनके सपनों का भी नाश किया है। पीड़ितों ने अपने अधिकार की रक्षा के लिए सड़क पर होने का निर्णय लिया है, और वे नहीं चाहते कि कोई और उनके साथ इस तरह के धोखाधड़ी करे।
आखिरकार, इस सागा का नायिका बशीरा बेगम और उनके साथी पीड़ितों के इस लंबे सफर ने न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है, और वे उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी मेहनत और संघर्ष ने उनके निवेश को वापस पाने के रास्ते को साफ़ किया है।