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क्या है वर्टिकल विंड टनल? देश में इस तरह की पहली टनल कहां इंस्टॉल हुई है ?

शिमला: बुधवार 25 अक्टूबर को भारतीय सेना को पहली वर्टिकल विंड टनल (VWT) मिली है. अपनी तरह की ये इकलौती टनल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित स्पेशल फोर्सेज के ट्रेनिंग स्कूल में इंस्टॉल की गई है. आर्मी चीफ मनोज पांडे ने दिल्ली में वर्चुअली इसका उद्घाटन किया. वर्टिकल विंड टनल देश के जवानों को कॉम्बैट फ्री फॉल ट्रेनिंग में बहुत ही मददगार साबित होगी.

पहले जानिए क्या होता है फ्री फॉल कॉम्बैट: फिल्मों में हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ते प्लेन से कूदते फौजियों को आपने जरूर देखा होगा. ऐसे फिल्मी सीन देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन स्पेशल फोर्सेज के जवान ऐसा कई स्पेशल या एमरजेंसी ऑपरेशन के दौरान करते हैं.

हजारों फीट की ऊंचाई से पैराशूट के साथ कूदना ही फ्री फॉल कॉम्बैट कहलाता है. स्पेशल फोर्सेज के जवान ऐसे मिशन अपनी जान हथेली पर लेकर पूरा करते हैं.

क्यों है जरूरी ये टनल ?: दरअसल स्पेशल फोर्सेज के जवान अब तक मौखिक जानकारी और कुछ ट्रेनिंग के बाद फ्री फॉल कॉम्बैट मिशन को अंजाम देते रहे हैं. लेकिन वर्टिकल विंड टनल मिलने से ये जवान पर ऐसे जोखिम भरे मिशनों की तैयारी और भी अच्छी तरह से कर सकेंगे.

इस तरह की ट्रेनिंग मिलने से जवानों के घायल होने का खतरा कम से कम होगा. इससे पहले देश में इस तरह की ट्रेनिंग फेसिलिटी नहीं थी. जंग के मैदान से लेकर बाढ़, प्राकृतिक आपदा जैसी आपातकालीन स्थिति में कई बार हवाई जहाज की लैडिंग बहुत मुश्किल होती है.

ऐसे में जवानों को हवाई जहाज से पीठ पर एक पैराशूट के सहारे छलांग लगानी होती है. इस तरह के मिशन के लिए बहुत ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत होती है. सेना को वर्टिकल विंड टनल मिलने से इस तरह की ट्रेनिंग आसान और बेहतर हो सकेगी.

क्या है वर्टिकल विंड टनल और कैसे काम करती है: करीब 10 से 12 मीटर ऊंची वर्टिकल विंड टनल मजबूत शीशे की बनी है. इस टनल के बेस में एक बड़ा पंखा लगा है जो बहुत तेज हवा फेंकता है.

जब इस टनल को ऑन किया जाता है तो इसके अंदर का माहौल ऐसा होता है, जैसे हवाई जहाज से कूदते वक्त किसी जवान को फील होता है. हवाई जहाज से कूदने पर हवा के तेज थपेड़ों का अहसास इस टनल के अंदर होता है.

इस टनल को बनाने का मकसद स्पेशल फोर्सेज के जवानों को एमरजेंसी मिशन के लिए तैयार करना है. इस टनल के अंदर ट्रेनिंग लेने वाले जवान तेज हवा के झोंकों के बीच कई मिनटों तक हवा में बैलेंस बनाने की कोशिश करते हैं.

भारतीय सेना के मुताबिक स्पेशल फोर्सेज की ट्रेनिंग के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने की ओर ये एक ऐतिहासिक कदम है. टेक्नोलॉजी को ट्रेनिंग देने के तरीकों में शामिल किया जा रहा है और इस टनल की स्थापनी उसी दिशा में एक कदम है.

सेना के मुताबिक स्पेशल फोर्सेज ट्रेनिंग स्कूल में कॉम्बैट फ्री फॉल ट्रेनिंग सिलेबस में वर्टिकल विंड टनल के जुड़ने से कई फायदे होंगे. इससे जवानों को आपात मिशन की तैयारी में मदद मिलेगी और ये सिर्फ नए जवानों के साथ-साथ ट्रेनर्स की स्किल को भी बढ़ाने में मददगार साबित होगा.

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