उत्तर प्रदेशलखनऊ

मायावती को बड़ा झटका: बसपा से छह विधायकों के जाने के बाद अब भाईचारा समिति के प्रदेश संयोजक चिंतामणि ने छोड़ी पार्टी

लखनऊ: बसपा को अपनी चुनावी तैयारियों में झटके लगने का सिलसिला जारी है. अब छह विधायकों के जाने के बाद बसपा भाईचारा समिति के प्रदेश संयोजक चिंतामणि ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा है कि पार्टी में वह लक्ष्यों व अपने पदीय दायित्वों को समाज के सामने प्रस्तुत करने में असमर्थ हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय करीब आता जा रहा है, नेताओं के सियासी पर्यटन का सिलसिला रफ्तार पकड़ने लगा है. नेताओं के इस पार्टी से उस पार्टी में आने-जाने और पार्टियां छोड़ने का दौर शुरू हो गया है.

ताजा मामला बसपा भाईचारा समिति के प्रदेश संयोजक चिंतामणि का है जिन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती को सोमवार को पत्र लिखकर कहा है कि आपने मेरे रिटायरमेंट  के बाद मुझे बसपा में बहुजन समाज की सेवा करने, डा. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के कारवां को बढ़ाने का दायित्व दिया था. मैंने पिछले आठ सालों से पूरी लगन से यह काम किया. अब लगता है कि पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए समेकित प्रयास नहीं हो पा रहा है.  ऐसी असमंजन व दिशाहीन की स्थिति में समाज की सेवा व मदद पार्टी के माध्यम से किस प्रकार संभव होगा. इसका साफ रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा है. अत: मैंं इस्तीफा देता हूं.

हाल ही में हुई थी दल-बदल

उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के छह विधायकों ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. आधा दर्जन विधायकों के एकसाथ पार्टी छोड़ने के अगले ही दिन मायावती ने ट्वीट कर इन सभी को बरसाती मेंढक बताते हुए इन पर जमकर हमला बोला था. साथ ही  अखिलेश यादव को ये चेतावनी भी दे दी है कि इस तरह दूसरे दलों से नेताओं को आयात करने से कोई लाभ नहीं होगा. जिन विधायकों ने बसपा छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था उनमें जौनपुर जिले के मुंगराबादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक सुषमा पटेल, सीतापुर सिधौली के विधायक हरगोविंद भार्गव, हापुड़ के धौलाना विधायक असलम चौधरी, श्रावस्ती विधायक असलम राइनी, प्रयागराज के हंडिया विधायक हाकिम लाल बिंद और प्रतापपुर विधायक मुज्तबा सिद्दीकी शामिल हैं.

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