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अलीगढ़ में राम बारात पर तलवार से हमला, 5 लोगों को पुलिस ने लिया हिरासत में

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में राम बारात (Ram Baraat in Aligarh) के मार्ग को लेकर दो समुदायों के बीच रविवार को विवाद हो गया था. इस घटना में 5 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घटना में घायल व्यक्ति की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है.

इस मामले में पुलिस ने 5 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. इसके साथ ही पुलिस ने अपनी तरफ से भी एक मामला दर्ज किया है. वहीं, घटनास्थल पर भारी पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है.

अधिकारियों के खिलाफ लगे मुर्दाबाद के नारे

चंदौस कस्बे में रविवार देर रात राम बारात निकाली जा रही थी. रामलीला कमेटी का आरोप है कि इस दौरान दूसरे समुदाय के युवकों ने राम बारात में शामिल लोगों पर तलवार, लाठी-डंडे से हमला बोल दिया. इस हमले में 5 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इस हमले के बाद हिंदू समुदाय में नाराजगी है.

लोगों ने थाने का घेराव कर जमकर हंगामा किया था. इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी मुर्दाबाद के नारे लगाए. रामलीला कमेटी ने आरोपियों की गिरफ्तारी कर कार्रवाई की मांग की थी. देर रात तक डीआईजी, एसएसपी और डीएम सहित कई बड़े अधिकारी मौके पर ग्रामीणों को समझने में जुटे थे.

50 साल से इसी रूट पर निकल रही शोभायात्रा

अलीगढ़ रामलीला कमेटी ने ऐलान किया है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी. तब तक रामलीला का आयोजन नहीं किया जाएगा. ऐसे में सोमवार को रामलीला के आयोजन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. हालांकि राम बारात पर हुए हमले की वजह पुलिस और प्रशासन रूट का विवाद बता रहे हैं.

रामलीला व मेला कमेटी के पदाधिकारी ने साफ किया है कि रूट का कोई विवाद नहीं है. 50 साल से इस रूट पर शोभायात्रा निकलती आ रही है. यहां कभी कोई विवाद नहीं हुआ था.कमेटी के अध्यक्ष ने बताया

कमेटी के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया कि बीते दिनों थाना चंडौस में पीस कमेटी की बैठक हुई थी. जिसमें एसडीएम और क्षेत्राधिकारी ने दोनों पक्षों के लोगों को बुलाया था. इस दौरान भी दूसरे पक्ष के लोगों से राम बारात के रूट को लेकर पूछा गया था. उस समय किसी ने कोई भी आपत्ति नहीं जताई थी.

रामलीला कमेटी ने दी तहीरर

रामलीला कमेटी की ओर से 31 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ तहरीर दी गई है. कमेटी की ओर से कहा गया है कि प्रशासन द्वारा निर्धारित किए गए रूट से ही राम बारात की शोभायात्रा निकाली जा रही थी. शोभा यात्रा नगर भ्रमण के दौरान खैर अड्डा पर मस्जिद के सामने से गुजर रही थी.

इसी दौरान मस्जिद में पूर्व से ही मौजूद लोगों ने एक राय होकर शोभायात्रा पर हमला कर दिया. उनके हाथों में लाठी, डंडे, फरसा, तलवार व तमंचे थे.

मस्जिद से किया गया हमला

निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर पूजा शकुन पाण्डे ने कहा कि राम बारात पर घात लगाकर मस्जिद से हमला किया गया है. घटना में बिना जांच किए हिंदुओं पर दोष मढ़ा गया है. क्षेत्राधिकार गभाना हिंदू पक्ष को ही दोषी ठहरा रहा है. ऐसे में अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि ऐसे में उनकी मानसिकता का पता चलता है. इस हमले में पांच लोग घायल हुए हैं. जबकि पुलिस एक लोगों के घायल होने की बात कह रही है.

पांच लोग पुलिस हिरासत में

एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक ने बताया कि चंदौस कस्बे में राम बारात के दौरान कुछ लोगों ने हमला कर दिया था. इस हमले में एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया था. जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जिसकी हालत खतरे से बाहर है. घायल व्यक्ति की तहरीर पर पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है.

इस मामले में 5 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है. साथ ही शांति व्यवस्था कायम है. पुलिस की तरफ से भी एक मामला दर्ज किया गया है. जिसकी जांच पड़ताल की जा रही है.

जमीन को लेकर है विवाद

जानकारी के अनुसार राम बारात के दौरान हुई मारपीट का कारण सिर्फ मार्ग ही नहीं है. इसके पीछे पुराना विवाद भी है. दो बीघा जमीन पर रामलीला मैदान है. इसके पास ही दो बीघा जमीन पर मस्जिद भी है. बीच की 400 गज जमीन को लेकर 20 वर्षों से विवाद चल रहा है.

इसकी जानकारी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी है. लेकिन इसे समाप्त करने के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया. यदि जिला प्रशासन मामले को गंभीरता से लेता है तो शायद इतना बड़ा बवाल नहीं होता होता.

पहले भी हो चुका है विवाद

मुस्लिम पक्ष के लोग इस जमीन को वक्फ बोर्ड में पंजीकरण का दावा करते हैं. जबकि हिंदूवादी इसे रामलीला कमेटी की जमीन बताते हैं. सरकारी अभिलेखों में यह जमीन नुजूल में दर्ज है. दोनों पक्षों की ओर से किसी भी न्यायालय में कोई दवा नहीं किया गया है. 7 साल पहले मुस्लिम पक्ष द्वारा जमीन पर दीवार बनवाने को लेकर विवाद हुआ था.

वहीं, पुलिस प्रशासन ने इसे शांत कर दिया था. 3 साल पहले भी मुस्लिम समाज के लोगों ने गेट का निर्माण करना चाहा, जिसे हिंदूवादी लोगों ने विरोध किया था. इस बार तत्कालीन एसडीएम ने पुलिस बल के साथ गए और गेट को हटवा कर मामले को शांत करा दिया था.

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